Saturday 23 February 2013

मेरी और उनकी बातें **


चित्र  गूगल से साभार 


उनको देखा तो वे नज़र झुकाए बैठी थी 
न कुछ  बोली ,न कोई हरक़त ,संगमरमर की मूर्ति थी ,
धोखा हुआ मुझे ,झुककर ज्यों देखा ,पाया 
होंठो पर मुस्कान ,कनखियों से मुझे देख रही थी।

जिन्दगी और मौत ,दो अजीब पहलू  है
एक दिन का उजाला ,दूसरा  रात का अँधेरा है
गौर से देखो ,समझो यारो ,जिंदगी ,मौत

यारों कुछ नहीं ,छुपा छुपी का खेल है ।


दिल की यह आलम है कि उसमे कोई भाव नहीं
सुख,दुःख क्या है, इसका भी कोई इल्म नहीं
सुख में हँसता था ,दुःख में रोता था औरो के लिए
आँसूं के एक बूंद भी नहीं बचा अब अपने लिए।


संध्या आती  है जुगनुयों को जगाने के लिए
नींद आती है सपनों को गले लगाने के लिए 
सपने आते हैं चुपके से नज़र बचाके तुमको लेकर 
मेरे तुम्हारे टूटे अरमानों से मिलाने के लिए। 

कालीपद "प्रसाद "  

© सर्वाधिकार सुरक्षित

 

 

 



18 comments:

  1. सुन्दर एवं भावपूर्ण क्षणिकाएं ! बहुत बढ़िया !

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  2. अत्यंत सुन्दर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति | बधाई |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  3. बहुत बाव्पूर्ण रचना ... शाम आती है उनकी यादों के साथ .... उनसे मिलवाने के लिए ...

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना..

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  5. वाह ... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

    सादर

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  6. बहुत बढ़िया आदरणीय-
    आभार आपका ||

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  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति !!

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  8. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,,,बधाई स्वीकारें

    Recent post: गरीबी रेखा की खोज

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  9. बहुत बढ़िया सर!


    सादर

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  10. सुंदर भाव ...

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  11. बहुत सुंदर,..........
    आप भी पधारो आपका स्वागत है
    pankajkrsah.blogspot.com

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  12. BEAUTI IS ONLY TO SEE NOT TO TOUCH

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  13. ज्ञान प्रद -अद्धभुत अभिव्यक्ति !!

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