Monday 8 April 2013

सपना और तुम


सपने में तुम 



दिन भर की थकान से तन चूर चूर हो जाता है,
साँझ ढले विस्तार पर पड़ते ही आँख लग जाती है।
सपने में आहट तुम्हारे आने का एहसास होता है,
पायल की झंकार तुम्हारी  द्वार की घंटी बजाती  है। 
बदन की खुशबु तुम्हारे  ,मुझको मदहोश करती  है,
नयन तुम्हारे अनंग का धनुष ,घायल  मुझे करती है। 
बालों में फिरती कोमल अँगुलियों का स्पर्श तुम्हारी
प्रकम्पित ,कामित तन मन को शीतल करती है।
मखमली कोमल होटों का स्पर्श, मुझको वर्षों याद है
बड़ी जतन  से आज तक मैंने ,उसे जिन्दा रखा है।
चाहता हूँ बार बार करूँ एहसास ,सुनु मधुर वाणी ,
पर क्यों जाती हो ,ख़्वाब तोड़कर , मुझे होती है हैरानी।
बिजली की चमक ,मुस्कान तुम्हारे ,मेरे दिलको भाता है ,
बोलती नहीं तुम , पर मौन तुम्हारे ,सब कुछ बता देता है।
सपना का आभार मानु  या मानु तुम्हारा आभार
सपना नहीं तो तुम नहीं ,तुम नहीं तो सपना ही बेकार।  

रचना  : कालीपद "प्रसाद'
सर्वाधिकार सुरक्षित 

37 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर बेहतरीन अभिव्यक्ति,आभार.

    ReplyDelete
  2. बढ़िया अभिव्यक्ति-
    शुभकामनायें स्वीकारें -

    ReplyDelete
  3. अनुपम भाव संयो‍जित किये हैं आपने ... आभार

    ReplyDelete
  4. आभार राजेश कुमारी जी !

    ReplyDelete
  5. कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति ,सुंदर |

    ReplyDelete
  6. वाह भाई जी बहुत बहुत सुंदर अनुभूति
    सुंदर रचना
    बधाई आपको

    ReplyDelete
  7. कोमल भावनाओ की सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार..

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर रचना | बधाई

    ReplyDelete
  9. बहुत बेहतरीन सुंदर रचना !!!बधाई

    RECENT POST: जुल्म

    ReplyDelete
  10. कालीपद जी सहज और सुंदर अभिव्यक्ति। दिन भर की मेहनत से थका व्यक्ति जो कल्पना करता है उसे आपने कविता के माध्यम से शद्बों में बांधा है। यह सपना दोनों तरफ से हो सकता है स्त्री और पुरुष की तरफ से। जैसे पुरुष बालों में उंगलियों से सकुन महसूस करना चाहे वैसे उंगलियां फेर सकुन देने की मानसिकता भी रखे। आपकी कविता के माध्यम से मन में विचार आया लिख डाला। आप कविता को थोडा और आगे बढा कर परकाया प्रवेश कर सपनों की 'पायल वाली' की मंशा को प्रकट करने की कोशिश करेंगे तो कविता आसमान में विहार करने लगेगी।
    drvtshinde.blogspot.com

    ReplyDelete
  11. आपके सुन्दर सुझाव के लिए धन्यवाद ,मैं प्रयत्न जरुर करूँगा

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  13. भावभीनी अभिव्यक्ति,कालिपद जी...

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर ..सपनो की बिना जिंदगी आसां नहीं ...

    ReplyDelete
  15. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए आभार!

    ReplyDelete

  16. प्रेमरस सराबोर अभिव्यक्ति।
    सादर
    मधुरेश

    ReplyDelete
  17. शुभप्रभात !!
    सपने ही तो होते अपने ........
    सादर !!

    ReplyDelete
  18. बहुत खूब आपने दिल की बात कह दी सपनों में जीता पल सदा सुखद एहसास लिए .....

    ReplyDelete
  19. स्वप्न करते हैं प्रतीक्षा,
    सुलाने रातें बुलातीं।

    ReplyDelete
  20. नवसंवत्सर की शुभकामनायें
    आपको आपके परिवार को हिन्दू नववर्ष
    की मंगल कामनायें

    ReplyDelete
  21. bahut khub, shandar rachna

    ReplyDelete
  22. wah ye sapne aur tum. Khoobsurat kavita.

    ReplyDelete
  23. सपनों की बात ही निराली है...मानव की हर मंशा पूरी स्वप्नों ने कर डाली है, सुंदर प्रस्तुति !

    ReplyDelete
  24. क्या बात है ?सशक्त अभिव्यक्ति अनुभूत की .

    ReplyDelete
  25. ख्यालों को जिवंत करती प्रेम और श्रृंगार की अनुपम रचना

    ReplyDelete