Monday 24 March 2014

कुछ मुक्तक !

                         

                           जनतन्त्र           

                                 १.

जनतंत्र का अर्थ था -जनता द्वारा चुनी हुई सरकार 
जनता का ,जनता  के हित के  लिए बनी सरकार
हो जनता ही नियंता ,किन्तु चुनाव के बाद नेता 
कहा जन  को बाई,तंत्र रह गए ,जन से दूर सरकार !

                                 २ 

बिक गई जनतंत्र उद्योग-पतियों के  हाथों में 
जनता बन गई कठपुतली नेताओं  के हाथों में 
उद्योगपति नचाता है नेता को, नेता जनता को
जनतन्त्र बन गई बाँदी,बड़े घरानों की हरम में |                               
                             
चित्र गूगल से साभार
                           मीडिया 

लोकतंत्र में चौथा स्तंभ का दम्भ भरने वाले
सच्चाई का साथ देने की भीष्म प्रतिज्ञा करने वाले 
सात पर्दों के पीछे छुपे राज को ढूंढ़ निकालनेवाली मीडिया
बेच दिया अपनी ईमान ,खरीदा नेता ओ उद्योग घरानेवाले|


                            राजनैतिक दल 

भ्रष्टाचार कालाधन गुंडगर्दी का विरोध करने वाले 
दागी हैं चाल चलन चरित्र  का दुहाई देनेवाले 
चुनाव में टिकिट दिया कालाधनी भ्रष्टाचारी को 
गुंडे,कैदी खड़े हैं चुनाव में, है कोई चुनौती देनेवाले ?


                               दलों  का सोच 

जनता तो  कैटल है.जिधर हांको उधर जायेगी 
हर दशा ,हर हाल में वह चुनाव बूथ पर आएगी
व्होट हमें दे या विरोधी को ,क्या फरक पड़ता है 
सरकार तभी चलेगी जब आधी मलाई हमें मिलेगी | 


                            चुनाव आयोग 


                                १

भैंसों को चरागाह में  रखने  की जिम्मा हमारे  हाथ में है  
हम मारते नहीं डंडा कभी भी ,पर डंडा हमारे हाथ में है  
भैंसों के आगे चुनाव आयोग यही बीन बजाता रहता है
भैस मस्ती में झूमकर चरागाह का निषिद्ध घास चर जाती है |


                                २


शस्त्रहीन चुनाव आयोग हवा में डंडा घुमाता है 
डंडे की आवाज भैसों को बीन की आवाज़ लगती है
कभी ताल में कभी बेताल में नाच भी लेती है भैंस 
मस्ती में आँख कान बंद कर आयोग को सिंग मार देती है |



कालीपद 'प्रसाद '
सर्वाधिकार सुरक्षित
                                        .





                           

Monday 17 March 2014

... कि आज होली है !

करीब दो महीने से अपरिहार्य कार्य के कारण ब्लॉग पर आ नहीं पा रहा हूँ | लेकिन आज होली है इसीलिए थोडा समय निकाल कर आप सबको शुभकामनाएं देने आया हूँ | रंगीला होली आप सबके जिंदगी में ख़ुशी  का रंग भर दें यही दुआ करता हूँ ! हैप्पी होली !


                                होली !!

आओ प्रिये तुम्हे गुलाल लगा दूँ...कि आज होली है .
सात रंगों से रंग दूँ तुम्हे... कि आज होली है|
तन पर सुर्ख रवि का लाल लगाऊं... कि आज होली है
मन में अनंग का आग लगा दूँ... कि आज होली है|
पत्तियों से रंग ,फूलों से खुशबू लाई... कि आज होली है
तितलियों से चंचलता,मंडराऊं तुम पर... कि आज होली है|
जलधर से मांगकर लाई जल... कि आज होली है
प्रेम के सात रंग बरसाऊँ तुम पर... कि आज होली है|
तुम पिया मुझे मत भूलना कभी... कि आज होली है
मेरी सहेली चतुर सयानी, उनसे बचना ... कि आज होली है|
सखियों की नज़र न लगे तुम्हे... कि काला धागा बाँध दूँ 
आखों के काजल का टिका लगा दूँ... कि आज होली है|
सावधान रहना, स्वीकार न करना, करे कोई प्रेम निवेदन
राधे राधे जपते रहना, हो जायेगा तुमरा मोह भंजन |
रंग लगाये, लगा लेना पर दिल ना लगाना... कि आज होली है|
जितने रंग बरसाना है प्रिय बरसो मुझपर... कि आज होली है|
तन में आग, मन में आग, धधकता है लगातार 
मारो पिचकारी पिया ,शांत करो, तन मन का अंगार |
फागुन का फाग ,गाओ प्रेम का राग... कि आज होली है
प्रेम का रंग,कभी मिटे ना हम तुमरा.. कि आज होली है| 

कालीपद 'प्रसाद'
सर्वाधिकार सुरक्षित