Friday 30 January 2015

नेता और भ्रष्टाचार! **





 गर नेता भ्रष्टाचार मुक्त होता ,भारत एक विकसित देश होता,
 नेता गर इमानदार होता ,कर्मचारी भी नेताओं से खौप खाता l

 लुट का नोट नेता रखता है,बक्से,बोरे,गाडी और विदेशी बैंको में
 बिस्तर के नीचे,निवेशकर बेनामी जायदाद और सोने के गहने में l 

सौ कदम क्या चले अभी अभी ,घर से निकलकर बरखुरदार ,
करने लगे गुणगान खुद,अपनी चाल चलन और संस्कार पर l 

जब से बैठा है सिंहासन पर,कालाधन का रंग हो गया सफ़ेद
अंगूर खट्टा है या मीठा,लग गया है पता,दोनों में क्या है भेद l

डंका पीटना छोड़कर गर,सब नेता काम पर लगाए ध्यान
जनता का संकट दूर होगा, भारत का होगा कुछ कल्याण l

संसार में न तुम्हारा कोई मित्र है,न कोई शत्रु है जन्मजात
शत्रु और मित्र बनाते उन्हें ,तुम्हारे अपने विचार और बात l


कालीपद "प्रसाद"
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Saturday 24 January 2015

वसंत पंचमी



                                                                                                 


आज वसंत पंचमी है l आज ही विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की पूजा होती है | भारत  के पूर्वी भाग, विशेषकर आसाम ,त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में सरस्वती पूजा धूम धाम से की  जाती है | विद्यालयों मेंभी पूजा होती है |प्रार्थना की  जाती है | हमने भी प्रार्थना की ,उसे आपके साथ साझा कर रहा हूँ |

                                                                                                  



माँ तू मुझे कुछ ऐसे वर दे 
करूँ मैं कुछ काम ऐसे कि  
जन-मन-तम दूर कर सकूँ l

माँ तू मुझे कुछ ऐसे वर दे
मुझ में हो बल-बुद्धि-विवेक इतना
मैं दुखियों का दुःख दूर कर सकूँ l 
                               
माँ तू मुझे कुछ ऐसे वर दे
मेरी वाणी में इतना ओज भर दे
भ्रमित जन का भ्रम दूर कर सकूँ l

माँ तू मुझे कुछ ऐसे वर दे
बोलूं मैं कुछ सांत्वना के बोल,कि
निराश,भयार्तों में आत्मविश्वास भर सकूँ l   

माँ तू मुझे कुछ ऐसे वर दे
शिशु के स्वच्छ,धवल हृद-पट पर
सत्य,अहिंस्या का रंग भर सकूँ l

कालीपद "प्रसाद"
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Sunday 18 January 2015

तमन्ना इंसान की ......




तमन्ना इन्सान की...‘रब का रहस्य जान ले’
सृष्टिकर्ता के काम को अपने हाथ में ले ले l
पंडित ,पादरी ,मौलवी ,दूकान सजा रखा है  
ग्राहक को रिझाने में,इनमे कड़ा प्रतिस्पर्धा हैl 
रब में हैं ध्यान कम,दक्षिणा पर निर्भर पूजा  
तेईस घंटे ग्राहक सेवा ,एक घंटा रब की पूजा l  
सोचा क्या इन्सान कभी ,ऐसा दिन आयगा
शांत रहेगा महासागर ,पहाड़ पर उफान आयगा?
प्रकृति कहो,रब कहो या भजो कोई और नाम से
पर्दा नहीं हटा पायगा इंसान रब के पूरा रहस्य सेl 
आध्यामिक चर्चा में आते किन्तु, है आध्यात्म से दूर
कौवे जैसे कांव कांव ,श्रोता को है मनोरंजन भरपूर l
न खुद समझते ,न समझा पाते ,खुद हैं उलझन में
खुदा को क्या समझेंगे, खुदाई तो आये समझ में l 

कालीपद "प्रसाद"
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Friday 16 January 2015

सूर्य पर्व -मकर संक्रांति

मकर संक्रांति चला गया ! व्यस्तता के कारण ब्लॉग में कुछ न लिख पाया न शुभकामनाएं दे पाया ! मित्रों ,मेरा विश्वास है कि शुभकामनाएं तो कभी भी दिया जा सकता है ,इसीलिए आप सबको मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ !इसी अवसर लिखे कुछ पक्तियां पेश कर रहा हूँ |


अनादि काल से जल रहे है
बिखेर रहे हैं प्रकाश ,
जहाँ भी अँधेरा है 
उसका कर रहे हैं नाश |
आकाश पथ पर करते भ्रमण 
धरा पर कृपा विशेष ,
जीवन को किया प्रष्फुटित
देकर सतत ऊर्जा अशेष |
जीवन मरण में आदित्य का 
अवदान है अपार ,
सर्द मौसम में जीव जगत को
प्रिय है रवि का रश्मि प्रहार |
सूर्य-पर्व पर रवि करते है 
मकर राशि में प्रवेश 
मकर संक्रांति का उत्सव 
मनाते हैं हमारा भारत देश |

मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं |

कालीपद "प्रसाद "

Monday 5 January 2015

क्या हो गया है हमें?*








क्या हो गया है हमें ,कभी हम ऐसे तो न थे ,
अनजान मेहमानों को भी,हम भगवान मानते थे |
भारत भूमि बना वतन, हर विदेशी आगंतुक का
जो भी अपना मुल्क छोड़कर, यहाँ वसना चाहा |

उदारता का पाठ, धर्म गुरुओं ने पढाया था हमें
निस्वार्थ होकर खुद जियो ,औरों को भी दें जीने|
इस गरिमा को छोड़कर,आचार्य क्यों स्वार्थी बने
क्यों नहीं जीने देते, इस मुल्क में मिलजुल कर हमें ?

टूट गया भाईचारा ,सद्भावनाओं का नहीं कोई निशाने
लेकर बन्दुक-पिस्तौल, लगा रहा है एक-दूजे पर निशाने |
धर्मगुरुओं की वाणी में, नहीं है अब स्नेह-सद्भाव-प्रेम
घृणा,भेद–भाव,निंदा की भाषा से, हो गया है उनका प्रेम |

भ्रमित हैं ,सहमे हुए हैं सारे लोग,बंद हैं चार दीवारों में
न जाने कब क्या हो जाय ,घातक हो कौन से लम्हें
खुद ही इकठ्ठा कर रखा है ,मौत के सारे सामान
दुश्मनी निभाने में आगे हैं ,पर नतीजे से हैं अनजान |

कालीपद “प्रसाद “ 
सर्वाधिकार सुरक्षित 
६/१/१५