Thursday 30 March 2017

नवरात्रि दुर्गा स्तुति

नवरात्रि दुर्गा स्तुति
१,
जयति जय दुर्गे, दुर्गति नाशिनी माँ
जयति वरदायिनी, कष्ट हारिणी माँ |
है तू शिवप्रिये गणमाता, तू कल्याणी माँ
शुभ्र-हिमवासी, गिरि पुत्री, पार्वती माँ |
रत्नालान्कार भूषिता, त्रिपुर सुंदरी माँ
संकट मोचनी, महिषासुर मर्दिनी माँ |
आयुध धारिणी, सब शत्रु नाशिनी माँ
जयति जय दुर्गे, दुर्गति नाशिनी माँ|
२.
तू ही विद्या, तू ही लक्ष्मी, तू ही है माँ शक्ति
तू ही वुद्धि, क्षुधा, तृष्णा, तू ही श्रद्धा भक्ति |
तू ही निद्रा, तू ही शांति, तू ही बोध ज्ञान
माता रुप में रखती तू, बच्चों का ध्यान |
तू ही स्मृति, तू ही भ्रान्ति, तू है मोह माया
सूक्ष्म रूप में तू व्याप्त, विश्व तेरी छाया |
विद्या वुद्धि हीन मैं, तू विद्या, तू है उमा
वर दे अकिंचन को, तू दयामयी माँ |
कालीपद ‘प्रसाद

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-04-2017) को
    "बना दिया हमें "फूल" (चर्चा अंक-2613
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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