Monday 22 January 2018

सरस्वती वन्दना




धनाक्षरी ( मनहर) ८,८,८,७ (वसंत पञ्चमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें मित्रों )
सरस्वती नमस्तुते, विद्या वुद्धि प्रदायिनी 
स्तुति अहं करिष्यामि, सर्व सौभाग्य दायिनी |
दिव्य ज्ञान दिव्य मूर्ति, धवल वस्त्र धारिणी 
हंसारूढ़ा वीणा पाणि, हृद तम हारिणी |
विश्व रुपे विशालाक्षी, ज्ञान प्रज्ञा प्रदायिनी 
भक्त इच्छा पूर्णकारी, सिद्धि वर दायिनी |
सर्व सिद्धि दात्री माता, तू ही तो है वेदमाता
तू अगर प्रसन्न है, प्रसन्न है विधाता |
तू ही शांति स्वरूपा है, सूक्ष्म रुपे अवस्थिता 
देव दैत्य नर कपि, सब में तू पूजिता |
माघ की शुक्ल पञ्चमी, माँ सरस्वती की पूजा 
ज्ञान, कला, गान विद्या की देवी नहीं दूजा |
ज्ञान विज्ञानं रूप में, पूजूँ तुझे हर बार 
श्रद्धा सुमन अर्पण, कर तू माँ स्वीकार |
कालीपद 'प्रसाद'

Wednesday 3 January 2018

ग़ज़ल

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सुन्दर खुशबू फूलों से ही
मोहक मंजर लगता है |
फागुन के आने के पहले
होली अवसर लगता है |
मधुमास में’ टेसू चम्पा,
और चमेली का है जलवा
सोलह श्रृंगार सेधरती दुल्हन,
गुल जेवर लगता है |
काले बादल बरसे गांवों में,
मन के आपा खोकर
जहां भी देखो नीर नीर नीर,
महा सागर लगता है |
फैशन शो में सब बच्चे पहने,
रंग विरंगे पोषाक
कोई दीखता’ राज कुमारी,
कोई जोकर लगता है |
हीरे मोती चुनकर लाये,
पहना है शौक से’ माला 
महँगा है’ हार कहता,
मुझको कंकड़ पत्थर लगता है |
शुभ्र चमकदार चाँदनी का,
पर्त पड़ी है पर्वत पर
सच है या धोखा चन्दा का’,
बिछाया चादर लगता है |
शीत लहर चलती उत्तर से,
करती सबको दुखी यहाँ
ठण्डी का डंक को’ अब
सहना, हमको दूभर लगता है |
पढ़ लिखकर हुए सयाना,
टाई बांधे चलता बेटा
ठाठ बाट देखो उसका
बेटा अब अफसर लगता है |
मीठी है बोली उनकी,
कोयल भी शरमा जाय किन्तु
‘कालीपद’ का’ करारा तंज
ही’, सबको खंजर लगता है |

कालीपद 'प्रसाद'